दोस्तो, मैं जबलपुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 22 साल है।मैं बचपन से ही बड़े शर्मीले स्वाभाव का रहाहूँ, इसलिए लड़कियों से दूर ही भागता था।मेरे दोस्त भी इस बात का मेरा मजाक उड़ाते रहते थे।खैर… जाने दो ये थी मेरी पुरानी पहचान, मगर मैं अब वैसा नहीं रहा।उसकी एक वजह भी है जो आप समझ रहे होंगे।मैंने एक दोस्त से अन्तर्वासना के बारे मेंसुना और मैंने कुछ कहानियाँ पढ़ीं, जो मुझे काफ़ी पसंद आईं और इन्हीं कहानियों से मुझे अपने साथ घटी एक घटना याद आ गई जो मैं आपकेसामने प्रस्तुत कर रहा हूँ।यह घटना उन दिनों की है, जब मै बी.ए.फर्स्ट ईअर में था।तब मैं और मेरे पिताजी एक रिश्तेदार के यहाँ शादी के लिए गए थे।
शादी-ब्याह का घर था तो बहुत सारे रिश्तेदार शादी के लिए आए थे। हम करीबी रिश्तेदार थे तो हमें दो दिन पहले ही वहाँ जाना पड़ा था।हमारे वहाँ जाने के बाद ही कुछ देर बाद और रिश्तेदार वहाँ आ गए जिनमें एक खूबबसूरत लड़की भी आई हुई थी।मैं उसकी ओर देखने लगा, मैंने आज तक किसी लड़की को ऐसे देखा नहीं था, मैं उसे देखता ही रह गया। उसने भी मेरी ओर देखा तो मैंने झट से अपनी नजर हटा दीं, जिससे वो हल्की सीमुस्कुराई, मुझे उस वक्त थोड़ी शर्म महसूस हुई।करीब एक घंटे बाद मेरी और उसकी फिर से नजर मिलीं।इस बार मैंने अपनी नजर नीचे नहीं झुकाईं औरना ही उसने नजरें नीचे कीं।हम काफ़ी देर तक एक-दूसरे को देखते रहे।मैंने उसके नजदीक जाकर बात करने की हिम्मत की और उसकी बातों से पता चला कि वो मेरी बुआ के पड़ोस में रहती है।हमने कुछ देर इधर-उधर की बातें की, उसके बाद रात को खाना खाने के बाद मैं छत पर सोने के लिए चला गया। मैंने देखा कि छत तो पूरी तरह मेहमानों से भरी हुई थी और मुझे नींद आ रही थी तो मैं एक ओर थोड़ी जगह देख कर वहाँ चला गया।ठण्ड का मौसम था तो सब रजाई ओढ़ कर सो गए थे, इसलिए मेरे बगल में कौन था, यह देखे बिना ही मैं सो गया।उसके बाद ठण्ड कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी तो मुझे झट से नींद लग गई।रात को करीब एक बजे मेरी नींद खुली तब मैंने अपने लण्ड के ऊपर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस किया।मैंने थोड़ी सी आँखें खोलकर देखने कि कोशिश की। मैंने देखा कि वही लड़की मेरे बगल में लेटी हुई थी, शायद वो रात को मेरे बगल में सोई हुई थी।उसका हाथ मेरे लण्ड पर था।यह जानकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मुझे थोड़ी सी बेचैनी होने लगी, मगर मैंने उसका हाथ हटा दिया और सोने की कोशिश करने लगा, पर अब तो मेरी नींद ही उड़ चुकी थी।मेरे दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आने लगे थे।अचानक उसका हाथ फ़िर से मेरे सीने पर पड़ा, अब मुझसे रहा नहीं गया।मैंने भी अब उसके पेट पर अपना हथ रख दिया और धीरे-धीरे उसके पेट को सहलाने लगा।मगर उसका कोई विरोध ना पाकर मैंने मेरा हाथउसकी चूचियों पर रख दिया और हल्के हाथ से चूचियाँ सहलाने लगा।मुझे और थोड़ा मजा आने लगा और वो विरोध भी नहीं कर रही थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी, मैं उसकी चूचियाँ जोर से दबाने लगा और मैंने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।फ़िर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।अब शायद वो जग चुकी थी, मगर उसने आँखें नहीं खोली थीं।उसे भी शायद मजा आ रहा था।मैंने अपनी जुबान उसके मुँह के अन्दर डालनीशुरु की, तो उसने अन्दर ले ली।अब मैं पूरी तरह निश्चिंत हो गया था और उसके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था।चूमने और चूसने के साथ ही साथ मैं उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।वो सिसकारियाँ भर रही थी और मैं जोर-जोर से उसे चुम्बन कर रहा था।उसके बाद मैंने अपना हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी चूत पर ले गया और सलवार के ऊपर सेही उसे सहलाने लगा, पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर बगल में कर दिया।शायद उसे गुदगुदी हो रही थी।मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे चुम्बनकरने में उलझाए रखा और चूत को फ़िर से सहलाने लगा।वो सिहर रही थी और अपने मुँह से न जाने अलग-अलग सी आवाजें निकाल रही थी। वो आवाजें सुन कर मैं और भी जोश में आ जाता था।बड़ा मजा आ रहा था दोस्तो!कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूत गीली हो रही है, तो मैंने उसे सहलाना छोड़ दिया।उसने मेरे कानों में कुछ कहा, मैं कुछ समझ पाता वो वहाँ से उठ कर चली गई।मैं समझा वो मुझसे नाराज हो गई है।फिर मैं उस की राह देखने लगा, पाँच मिनट उसकी राह देख़ने के बाद मैं भी उठा और उसे नीचे देख़ने निकल पड़ा।मैंने देखा कि वो एक कमरे के बाहर ख़ड़ी थी।मैंने उससे जाकर पूछा, तो उसने बताया कि वोमेरा इंतजार कर रही थी।मैंने वजह पूछी तो कहने लगी- वहाँ सबके साथ अजीब महसूस हो रहा था।मैं उसकी बातें समझ गया।उसके बाद हम दोनों उस कमरे में चले गए।कमरा काफ़ी बड़ा और पुराना था, वहाँ शायद कोईआता-जाता भी नहीं था। अन्दर जाते ही मैंनेउसके गालों और होंठों को चूमना शुरू किया और वो भी मुझे अपने गले लगाकर मेरा साथ देने लगी।मैं फ़िर से चूचियां सहलाने लगा। अब मैंने उसके कप
शादी-ब्याह का घर था तो बहुत सारे रिश्तेदार शादी के लिए आए थे। हम करीबी रिश्तेदार थे तो हमें दो दिन पहले ही वहाँ जाना पड़ा था।हमारे वहाँ जाने के बाद ही कुछ देर बाद और रिश्तेदार वहाँ आ गए जिनमें एक खूबबसूरत लड़की भी आई हुई थी।मैं उसकी ओर देखने लगा, मैंने आज तक किसी लड़की को ऐसे देखा नहीं था, मैं उसे देखता ही रह गया। उसने भी मेरी ओर देखा तो मैंने झट से अपनी नजर हटा दीं, जिससे वो हल्की सीमुस्कुराई, मुझे उस वक्त थोड़ी शर्म महसूस हुई।करीब एक घंटे बाद मेरी और उसकी फिर से नजर मिलीं।इस बार मैंने अपनी नजर नीचे नहीं झुकाईं औरना ही उसने नजरें नीचे कीं।हम काफ़ी देर तक एक-दूसरे को देखते रहे।मैंने उसके नजदीक जाकर बात करने की हिम्मत की और उसकी बातों से पता चला कि वो मेरी बुआ के पड़ोस में रहती है।हमने कुछ देर इधर-उधर की बातें की, उसके बाद रात को खाना खाने के बाद मैं छत पर सोने के लिए चला गया। मैंने देखा कि छत तो पूरी तरह मेहमानों से भरी हुई थी और मुझे नींद आ रही थी तो मैं एक ओर थोड़ी जगह देख कर वहाँ चला गया।ठण्ड का मौसम था तो सब रजाई ओढ़ कर सो गए थे, इसलिए मेरे बगल में कौन था, यह देखे बिना ही मैं सो गया।उसके बाद ठण्ड कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी तो मुझे झट से नींद लग गई।रात को करीब एक बजे मेरी नींद खुली तब मैंने अपने लण्ड के ऊपर किसी के हाथों का स्पर्श महसूस किया।मैंने थोड़ी सी आँखें खोलकर देखने कि कोशिश की। मैंने देखा कि वही लड़की मेरे बगल में लेटी हुई थी, शायद वो रात को मेरे बगल में सोई हुई थी।उसका हाथ मेरे लण्ड पर था।यह जानकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मुझे थोड़ी सी बेचैनी होने लगी, मगर मैंने उसका हाथ हटा दिया और सोने की कोशिश करने लगा, पर अब तो मेरी नींद ही उड़ चुकी थी।मेरे दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आने लगे थे।अचानक उसका हाथ फ़िर से मेरे सीने पर पड़ा, अब मुझसे रहा नहीं गया।मैंने भी अब उसके पेट पर अपना हथ रख दिया और धीरे-धीरे उसके पेट को सहलाने लगा।मगर उसका कोई विरोध ना पाकर मैंने मेरा हाथउसकी चूचियों पर रख दिया और हल्के हाथ से चूचियाँ सहलाने लगा।मुझे और थोड़ा मजा आने लगा और वो विरोध भी नहीं कर रही थी तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी, मैं उसकी चूचियाँ जोर से दबाने लगा और मैंने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया।फ़िर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।अब शायद वो जग चुकी थी, मगर उसने आँखें नहीं खोली थीं।उसे भी शायद मजा आ रहा था।मैंने अपनी जुबान उसके मुँह के अन्दर डालनीशुरु की, तो उसने अन्दर ले ली।अब मैं पूरी तरह निश्चिंत हो गया था और उसके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था।चूमने और चूसने के साथ ही साथ मैं उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।वो सिसकारियाँ भर रही थी और मैं जोर-जोर से उसे चुम्बन कर रहा था।उसके बाद मैंने अपना हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी चूत पर ले गया और सलवार के ऊपर सेही उसे सहलाने लगा, पर उसने मेरा हाथ पकड़ कर बगल में कर दिया।शायद उसे गुदगुदी हो रही थी।मैंने उसका ध्यान बंटाने के लिए उसे चुम्बनकरने में उलझाए रखा और चूत को फ़िर से सहलाने लगा।वो सिहर रही थी और अपने मुँह से न जाने अलग-अलग सी आवाजें निकाल रही थी। वो आवाजें सुन कर मैं और भी जोश में आ जाता था।बड़ा मजा आ रहा था दोस्तो!कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि उसकी चूत गीली हो रही है, तो मैंने उसे सहलाना छोड़ दिया।उसने मेरे कानों में कुछ कहा, मैं कुछ समझ पाता वो वहाँ से उठ कर चली गई।मैं समझा वो मुझसे नाराज हो गई है।फिर मैं उस की राह देखने लगा, पाँच मिनट उसकी राह देख़ने के बाद मैं भी उठा और उसे नीचे देख़ने निकल पड़ा।मैंने देखा कि वो एक कमरे के बाहर ख़ड़ी थी।मैंने उससे जाकर पूछा, तो उसने बताया कि वोमेरा इंतजार कर रही थी।मैंने वजह पूछी तो कहने लगी- वहाँ सबके साथ अजीब महसूस हो रहा था।मैं उसकी बातें समझ गया।उसके बाद हम दोनों उस कमरे में चले गए।कमरा काफ़ी बड़ा और पुराना था, वहाँ शायद कोईआता-जाता भी नहीं था। अन्दर जाते ही मैंनेउसके गालों और होंठों को चूमना शुरू किया और वो भी मुझे अपने गले लगाकर मेरा साथ देने लगी।मैं फ़िर से चूचियां सहलाने लगा। अब मैंने उसके कप

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